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18 Mar 2020 · 1 min read

उलझन में रहता हूँ

मैं बनकर प्यार का मोती
तेरे दामन में रहता हूँ
मुझे मालूम है हर पल
तेरी धड़कन में रहता हूँ

तू मुझमें और मैं तुझमें
दिखाई देते हैं सबको
तेरी परछाई बनकर
मैं तेरे दर्पण में रहता हूँ

बरस जाता हूँ बेमौसम
घिरें जब यादों के बादल
मैं सावन की तरह मनमीत की
अँखियन में रहता हूँ

जो पौधा रोपा था तूने
अब उसमे फूल आये हैं
बिखरती है तेरी खुशबू
मैं जब आँगन में रहता हूँ

तू धरती आसमाँ हूँ मैं
ये दूरी कैसे होगी कम
मिलन होगा भला कैसे
इसी उलझन में रहता हूँ

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