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7 Apr 2023 · 1 min read

उलझनें हैं तभी तो तंग, विवश और नीची हैं उड़ाने,

उलझनें हैं तभी तो तंग, विवश और नीची हैं उड़ाने,
परवाज हो ऊँची तो कैसे कोई पहुँचता वहां से गिराने।

@ नील पदम्

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