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11 Oct 2022 · 19 min read

उर्दू कायदा (आसानी से सिखे)

उर्दू कायदा लेखक – मनजीत सिंह, उर्दू ,अध्यापक कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र

आज का दौर विभिन्न भाषाओं का दौर है और उस दौर का हिस्सा अपना भारत देश भी है। यहाँ पर हर जगह थोड़ी थोड़ी दूरी में भाषा का परिवर्तन देखने को मिलता है। वह सब भाषा का अंग है। मैं बात करूं उर्दू भाषा की ‘उर्दू’ का मतलब है। फौज, लश्कर, छावनी, कैम्प, जो की तुर्की भाषा से लिया गया है। उर्दू भाषा फौजियों/लश्करों की अहम् बोली है जो आज के युग में भी बोली जाती है। वास्तव में अलग-अलग वक्त में विदेशी आक्रमणकारी इस देश में आते रहे। जब इन आक्रमणकारियों की फौज यहां आकर अपना डेरा जमाती हैं और यहां के स्थानीय लोगों से बातचीत करती हैं तब स्थानीय लोगों के साथ बातचीत करने के लिए या कुछ खरीदने या बेचने के लिए और बाजार की भाषा बनाने के लिए जहां इन्होंने किसी हद तक यहां की जवान के अल्फाज सीखे वहां वे हर प्रकार अपनी भाषाओं का भंडार भी यहां छोड़ गए। यह सभी लोग फारसी और अरबी भाषा बोलने वाले थे। एक लंबे समय तक यहां के स्थानीय लोगों के साथ अपना मेलजोल होता रहा और तो परिणाम स्वरुप एक नई भाषा उभरकर आने लगी जो अरबी फारसी तुर्की संस्कृत अंग्रेजी वह खड़ी बोली के मेलजोल से बनी और इस भाषा को पैदा करने में अधिकतर हाथ फौजियों का था। इसलिए इस मिश्रित भाषा को ‘उर्दू’ नाम दिया गया। यूं तो हम अपनी दिनचर्या की बोलचाल में जो भाषा बोलते हैं तथा दूसरी ओर उर्दू वाले जो भाषा बोलते हैं वह लगभग एक दूसरे के भली-भांति समझ में आ जाती है। वास्तव में उर्दू भाषा से यदि फारसी के कठिन शब्द निकाल दिए जाएं और हिंदी भाषा से संस्कृत के कठिन शब्दों को निकाल दें तो परिणाम स्वरूप जो भाषण निकलकर आएगी वह दोनों सूरत में एक ही होगी जिसे हम ‘हिंदुस्तानी’ कहते हैं। इस कायदे/किताब का मुख्य उद्देश्य है आपको उर्दू लिपि से परिचित कराना करवाना तथा आपके लिए नए शब्दों का भंडार करना। ताकि आपको उर्दू में लिखी हुई पुस्तकें, लेख, कविताएं आदि सरलता के साथ समझ में आ सके। यह भाषा दाएं से बाएं पढ़ी और लिखी जाती है।

2.
उर्दू वर्णमाला (37 अक्षर)

ज़े – ز अलिफ़ – ا
झे – ژ बे – ب
सीन – س पे – پ
शीन – ش ते – ت
स्वाद – ص से – ث
ज्वाद – ض टे – ٹ
तोए – ط जीम – ج
जोए – ظ चे – چ
ऐन – ع हे – ح
गैन – غ ख़े – خ
फ़े – ف दाल – د
क़ाफ – ق डाल – ڈ
Kaf काफ – ک ज़ाल – ذ
लाम – ل रे – ر
मीम – م ङे – ڑ
नून – ن
वाओ – و
हे – ہ
छोटी ये – ی
बङी ये – ے
हम्जा – ء
दो चश्मी हे – ھ

3.
(अक्षर व उनके रूप)
1.
ب پ ت ٹ ث ن ی/ے अक्षर
पहली शक्ल
दूसरी
तीसरी
चौथी
2.
(अक्षर व उनके रूप )
ج چ ح خ अक्षर
पहली शक्ल
दूसरी

3.
ये वो अक्षर है जो कभी किसी बाद वाले अक्षर से नहीं मिलते
د ڈ ذ ر ڑ ز ژ و
यह अक्षर पूरे लिखे जाएंगे अर्थात यह अक्षर जब शुरू में आते हैं तो किसी हर्फ़ से भी नहीं जुड़ते इसलिए अपनी असली शक्ल में लिखे जाते हैं।
4.
ع غ अक्षर
पहली
दूसरी
तीसरी
चौथी

5.
ف ق अक्षर
पहली
दूसरी

6.
س ش ص ض अक्षर
पहली
दूसरी

7.
ک گ अक्षर
पहली
दूसरी
तीसरी

8.
م अक्षर
पहली
दूसरी
तीसरी
चौथी

4.
1. बगैर नुक्ता/बिंदी वाले अक्षर 19 हैं
ا ٹ ح د ڈ ر ڑ س ص ط ع ک گ
ل م و ہ ی ے

2. एक नुक्ता/बिंदी वाले अक्षर 10 हैं
ب ج خ ذ ز ظ غ ف ن ض

3. दो नुक्ते/बिंदी वाले अक्षर 2 हैं
ت ق

4. तीन नुक्ते/बिंदी वाले अक्षर 4 हैं
پ ث چ ش

5.
मख़तूल/भारी आवाज वाले अक्षर
हिंदी में भारी आवाज वाले अक्षरों के लिए उर्दू में बहुत ही सरल विधि है। हल्की आवाज से भारी आवाज का अक्षर बनाने के लिए दो चश्मी )ह) का प्रयोग किया जाता है। इनकी कुल संख्या 14 है। ख, घ, छ, झ, ढ, थ, ध, फ, भ, ढ़, ल्ह, म्ह, न्ह हैं। यह सब अक्षर दो अक्षरों के मेल से बनते हैं। उर्दू भाषा में भारी आवाज वाले मख़तूल या अक्षर अलग से नहीं होते। यह दो आंख (ھ) या दो चश्मी (ह) से बनते हैं।
क की भारी आवाज ख ک + ھ = کھ
ग की भारी आवाज घ گھ = گ + ھ
च की भारी आवाज छ چ + ھ = چھ
ज की भारी आवाज झ ج + ھ = جھ
त की भारी आवाज थ ت + ھ = تھ
द की भारी आवाज ध د + ھ = دھ
प की भारी आवाज फ پ + ھ = پھ
ब की भारी आवाज भ ب + ھ = بھ
ट की भारी आवाज ठ ٹ + ھ = ٹھ
ड की भारी आवाज ढ ڈ + ھ = ڈھ
ङ की भारी आवाज ढ़ ڑ + ھ = رھ
ल की भारी आवाज ल्ह ل + ھ = لھ
म की भारी आवाज म्ह م + ھ = مھ
न की भारी आवाज न्ह ن + ھ = بھ

6.
उर्दू भाषा के अक्षरों को लिखने से पहले अक्षरों की बनावट आदि को अच्छी तरह देख लेना चाहिए और सीख लेना चाहिए
खड़े अक्षरों की पहचान :- ا م ط ظ
लेटे हुए अक्षरों की पहचान :- ب پ ت ٹ ث ک گ ے
आधे पड़े व आधे खड़े अक्षरों की पहचान :- د ڈ ذ ر ڑ ز ژ و
बाई ओर से शुरू होकर दाएं ओर मुड़ने वाले अक्षर इस प्रकार होते हैं :- ج چ ح خ ع غ
दाएं ओर से शुरू होकर बाई ओर मुङने वाले अक्षर इस प्रकार हैं –
س ش ص ض ق ف ل ن ی
ऐसे अक्षर जिनके ऊपर केवल एक बिंदी या नुक्ता होता है इस प्रकार है :- غ ف ن ض ظ ذ ز خ
ऐसी अक्षर जिनके ऊपर केवल दो बिंदी या नुक्ता होता है इस प्रकार है :- ت ق تھ
हम ऐसे अक्षरों की पहचान करेंगे जिनकी ऊपर तीन नुक्ता या बिंदी हो :- ث ژ ش
हम ऐसे अक्षरों की पहचान करेंगे जिन के नीचे एक व तीन बिंदी या नुक्ते होते हैं :- ب پ
अब हम उन अक्षरों की पहचान करेंगे जिनके पैर में एक/तीन नुक्ते/बिंदियाँ लगती हों :- ج ن چ
इसके के पश्चात हम उन अक्षरों की पहचान करेंगे जो किसी शब्द के अंत में प्रयोग होने पर बिना बिंदी के होते हैं लेकिन दूसरे अक्षर से मिलकर प्रयोग होते हैं। तो इनके खास निशान (یا) के नीचे दो बिंदियाँ यानि नुक्ते होते है :- ی یا ے یا
इसके पश्चात अब हम उन अक्षरों की पहचान करेंगे जिन पर छोटी सी तोय (ط) लगी होती है या कह सकते हैं की अंग्रेजी वर्णमाला का छोटा बी आकार का चिन्ह है :- ٹ ڈ ڑ

उर्दू भाषा के अंतर्गत कुछ ऐसे भी अक्षर होते हैं जिन पर एक या दो मरकज ( / ) होते हैं। सीधा कहें तो एक या दो तिरछी रेखा हो तो वे अक्षर इस प्रकार हैं :- ک گ
हिंदी जानने वालों के लिए उर्दू सीखना बहुत आसान है अब शुरू से लेकर लास्ट तक पढ़े और आप हर रोज इनकी प्रैक्टिस करें तब देखना आपको उर्दू सीखना कितना आसान होगा।
पहली बात: उर्दू के हर अक्षर को हर्फ़ कहते हैं और हर हर्फ़ का एक नाम होता है॰ जैसे के एक हर्फ़ “ب” है, जिसका नाम “बे” है और जो “ब” की आवाज़ बनाता है॰ ठीक इसी तरह एक दूसरा हर्फ़ “س” है, जिसका नाम “सीन” है और जो “स” की आवाज़ बनाता है॰ उर्दू पढ़ने के लिए इन हर्फ़ों का नाम जानना कतई ज़रूरी नहीं है, और न ही हम इस पर आपका कोई वक़्त ज़ाया करेंगे॰ सिर्फ़ ये याद कर लीजीए के कौन सा हर्फ़ कौन सी आवाज़ बनाता है॰ एक और हर्फ़ “ن” है, जो “न” की आवाज़ बनाता है॰ “ل” से “ल” की आवाज़ बनती है और “ز” से “ज़” की॰ नुक़्तों पर ध्यान दें – “س” “स” है लेकिन “ش” “श” है॰ किसी हर्फ़ पर नुक़्ता लगा हो, तो वो अपने ही जैसे दिखने वाले बिना-नुक़्ते के हर्फ़ से बिलकुल अलग आवाज़ बनाता है॰
दूसरी बात: उर्दू दाएँ से बाएँ लिखी जाती है, और हर्फ़ों को जोड़ कर शब्द बनते हैं॰ अगर हम “ا” (अल्लिफ़, जो “अ” की आवाज़ बनाता है) के साथ “ب” (“ब”) जोड़ें, तो क्या बना? “اب” यानि “अब”॰ “ر” (“र”) और “ب” (“ब”) जोड़ें तो “رب” (“रब”), और “د” (“द”) और “ب” (“ब”) जोड़ें तो “دب” (“दब”) बनते हैं॰
्तीसरी बात: जिस तरह हिंदी में “श” और “ष”, दोनो से एक ही तरह “श” की आवाज़ बनती है, ठीक उसी तरह उर्दू में कईं ऐसे हर्फ़ हैं जिनसे एक ही तरह की आवाज़ बनती है॰ मिसाल के तौर पर “ت” और “ط”, दोनो “त” की आवाज़ बनाते हैं॰ इसी तरह “س”, “ث” और “ص” तीनों “स” की आवाज़ बनाते हैं॰
चौथी बात: कुछ हर्फ़ों के दो रूप होते हैं – सिरा और पूरा॰ कुछ का सिर्फ़ एक रूप होता है – पूरा॰ किसी शब्द के शुरु या बीच में किसी भी हर्फ़ का अगर सिरा रूप है तो वो ही इस्तेमाल होता है॰ अगर किसी हर्फ़ का सिरा रूप है ही नहीं, तो कुदरती बात है के उसका अकेला-इकलौता पूरा रूप ही इस्तेमाल होता है॰ शब्द के आख़िर में आने वाले हर्फ़ का हमेशा पूरा रूप ही इस्तेमाल होता है॰ “س” (“स”) और “ب” (“ब”) दोनों का सिरा रूप होता है, लेकिन “ا” (“अ”) का सिर्फ़ पूरा रूप होता है॰ अब मज़ा देखिये॰ “सब” को लिखा जाएगा “سب” (यानि “س” का सिरा और “ب” पूरा, क्योंकि “س” शब्द के शुरु में था और “ب” आख़िर में)॰ “बस” को लिखा जाएगा “بس” (यानि “ب” का सिरा और “س” पूरा, क्योंकि इस दफ़ा “ب” शब्द के शुरु में था और “س” आख़िर में)॰ “अब” को लिखा जाएगा “اب” (यानि “ب” पूरा क्योंकि वो शब्द के आख़िर में था, और “ا” भी पूरा क्योंकि “ا” का कोई सिरा रूप होता ही नहीं)॰ शायद आप पूछना चाह रहें हों के भला ऐसा क्यों है के कुछ हर्फ़ों का सिरा होता है और कुछ का नहीं॰ अच्छा सवाल है लेकिन फ़िलहाल इसे भूल जाएँ॰
चौथी बात की कुछ और मिसालें: “ب” (“ब”) के संग “ا” (“अ”) जोड़ा तो क्या बना? “با” यानि “बा”॰ “بابا” क्या बना? “बाबा”॰ “ن” (“न”) के संग “ا” (“अ”) जोड़ा तो क्या बना? “نا” यानि “ना”॰ “ک” (“क”) और “ا” (“अ”) जोड़ा तो बना “کا” यानि “का”॰ “ن” (“न”), “ل” (“ल”), “ک” (“क”) और “ا” (“अ”) जोड़ा तो बना “نلکا” यानि “नलका”॰ “زبان” बना ज़बान॰ “ز” (“ज़”) और “ر” (“र”) का कोई सिरा रूप नहीं होता इसलिए “बाज़ार” को लिखेंगे “بازار”॰ “सास” को लिखेंगे “ساس”॰”शाबाश” लिखेंगे “شاباش”॰ “م” (“म”) के संग “ا” (“अ”) और “ن” (“न”) जोड़ा तो क्या बना? “مان” यानि “मान”॰ उलटकर, “ن” (“न”) के संग “ا” (“अ”) और “م” (“म”) जोड़ा तो क्या बना? “نام” यानि “नाम”
चौथी बात की आख़री बात: अभी तक हमने वो हर्फ़ देखे हैं जिनके सिरे उन्ही के कटे हुए रूप लगते हैं॰ लेकिन ऐसे भी कुछ हर्फ़ हैं जिनके सिरे उनके पूरे रूप से काफ़ी अलग दिखते हैं॰ जैसे की “ج” (“ज”) जिसका सिरा काफ़ी अलग हैं – “जा” को “جا” लिखते है॰ इसी तरह, “چ” (“च”) में “ل” (“ल”) जोड़ा तो “چل” (“चल”) बना॰ ठीक यूहीँ “ح” (“ह”) में “ل” (“ल”) जोड़ा तो “حل” (“हल”) बना॰ “خ” (“ख़”) में “ر” (“र”) और “چ” (“च”) जोड़े तो “خرچ” (“ख़र्च”) बना॰
पाँचवी बात: जिस तरह हिंदी में मात्राएँ होतीं हैं, कुछ ऐसी ही चीज़ उर्दू में भी है॰ अगर हर्फ़ के ऊपर छोटी सी तिरछी लकीर खेंची जाए तो उस हर्फ़ के साथ “आ” की आवाज़ जुड़ जाती है॰ इस मात्रा को “ज़बर” कहते हैं॰ देखिये – “اب” हुआ “अब”, लेकिन “آب” हुआ “आब” क्योंकि यहाँ “ا” पर ज़बर लगा हुआ है॰ एक दूसरी मात्रा है “ज़ेर” जो हर्फ़ के नीचे छोटी सी तिरछी लकीर लगाने पर “इ” की आवाज़ पैदा करती है॰ “اِس” हुआ “इस” क्योंकि “ا” के नीचे ज़ेर का निशान है॰ अगली मात्रा है “पेश” जो हर्फ़ के ऊपर हिंदी की “उ” की मात्रा सी दिखने वाली है और “उ” की ही आवाज़ पैदा करती है॰ “اُس” हुआ “उस” क्योंकि “ا” के ऊपर पेश लगा हुआ है॰ हिंदी और उर्दू लिखाई का एक फर्क़ ये है कि हिंदी में मात्राएँ हमेशा लिखी जातीं हैं, जबकि उर्दू में कभी-कभी इन्हे अनलिखा ही छोड़ दिया जाता है॰ अगर ऐसा हो तो “اس” का मतलब “अस”, “इस”, “उस” में से कोई भी हो सकता है॰ आपको इर्द-गिर्द का संदर्भ देखकर पहचानना होगा कि कौनसा है॰
पाँचवी बात की एक और बात: एक आख़री चीज़ का नाम है “तश्दीद”॰ जिस हर्फ़ पर ये लग जाए वो हर्फ़ दोहराया जाता है॰ “بنا” “बना” है, लेकिन “بنّا” “बन्ना” है, क्योंके इसमे “ن” के ऊपर तश्दीद का निशान लगा हुआ है॰ इसी तरह, “چِلم” “चिलम” हुआ, लेकिन “چِلّم” “चिल्लम” हुआ॰
छठी बात: उर्दू के तीन हर्फ़ दिलचस्प हैं॰ पहला हर्फ़ है “و” जिसका सिरा रूप नहीं होता और जिससे चार आवाज़ें निकल सकतीं हैं – “व”, “ऊ”, “ओ” और “औ”॰ “سوال” हुआ “सवाल”॰ “سونا” या तो “सोना” या “सूना” हो सकता है॰ बिहार में एक “सवना” नाम का गावँ है – उसे भी “سونا” ही लिखा जाएगा॰ बिहार में ही मुंगेर के इलाके में “सौना” नाम का एक अलग गाँव है – जी हाँ, उसे भी “سونا” ही लिखा जाएगा॰ आपको इर्द-गिर्द का संदर्भ देखकर अंदाज़ा लगाना होगा कि “و” की कौनसी आवाज़ इस्तेमाल की जाए॰ दूसरा दिलचस्प हर्फ़ है “ی” जिसके पूरे रूप से सिर्फ़ “ई” की, और सिरे रूप से “ई”, “ए”, “ऐ” और “य” की आवाज़ें बनती हैं॰ “की” को “ک” (“क”) और “ی” (“ई”) जोड़ कर “کی” लिखा जाता है॰ “ی” का सिरा रूप देखिये – “ی” (“य”) और “ا” (“अ”) जोड़ा तो बना “یا” यानि “या”॰ “मेल” को लिखेंगे “میل” और “प्याज़” को लिखेंगे “پیاز”॰ मैल को “میل” ही लिखेंगे और मील को भी “میل” ही लिखेंगे॰ “बीबी जी” को “بیبی جی” लिखेंगे॰ हमारा तीसरा दिलचस्प हर्फ़ है “ے” जिससे केवल “ए” और “ऐ” की आवाज़ें बनती हैं, और जिसका सिरा रूप नहीं होता॰ “के” को “ک” (“क”) और “ے” (“ए”) जोड़ कर “کے” लिखेंगे॰ तो “बीबी जी के लिये” को “بیبی جی کے ِلیے” लिखा जाएगा॰
छठी बात की एक और छोटी सी बात: शब्दों के शुरु में “و”, “ی” और “ے” के इस्तेमाल का ख़ास तरीक़ा होता है॰ “वन” हुआ “ون”, लेकिन “ओ” के लिए पहले “ا” (“अ”) लगाकर “او” लिखेंगे॰ “ور” को “वर” पढ़ेंगे और “اور” को “और” या “ओर” पढ़ेंगे॰ यही चीज़ “ی” पर भी लागू है – “یک” को “यक” पढ़ेंगे और “ایک” को “एक” पढ़ेंगे॰ अगर कभी “ई” या “ऐ” को शब्द की तरह लिखना चाहें तो “ای” और “اے” लिखेंगे॰ “ई! ये क्या?” को “ای! یے کیا؟” लिखेंगे और “ऐ मालिक” को “اے مالِک” लिखेंगे॰
सातवी बात: उर्दू का एक हर्फ़ है “ھ” (जिसका नाम “दो चश्मी हे” है और जो “ह” की आवाज़ बनाता है)॰ अगर इसे “ک” (“क”) के साथ जोड़ा जाए तो “کھ” बनता है जिसकी आवाज़ “ख” है॰ ठीक इसी तरह “گ” (“ग”) से “گھ” (“घ”), “ج” (“ज”) से “جھ” (“झ”) और “چ” (“च”) से “چھ” (“छ”) बनता है॰ “झट पट खाना खा” को लिखेंगे “جهٹ پٹ کهانا کها” (नये हर्फ़: “ٹ” “ट” होता है और “پ” “प” होता है)॰ “ٹ” “ट” के साथ “ھ” जोड़ा जाए तो “ٹھ” (“ठ”) बनता है॰ “ت” (“त”) से “تھ” (“थ”), “ب” (“ब”) से “بھ” (“भ”) और “پ” (“प”) से “پھ” (“फ”) बनता है॰ “भाग कर थक जा” को लिखेंगे “بهاگ کر تهک جا”॰ “ڈ” (“ड”) से “ڈھ” (“ढ”) और “ڑ” (“ड़”) से “ڑھ” (“ढ़”) बनता है॰
आठवी बात: “ن” (“न”) का हर्फ़ तो आप जान ही गए हैं॰ इसी से मिलता जुलता एक बिना नुक़्ते का हर्फ़ है “ں” जो हमेशा शब्दों के अंत में ही इस्तेमाल होता है और जिस से “आधे-न” की यानि “अं” की आवाज़ आती है॰ “मेन” को लिखेंगे “مین” लेकिन “में” को लिखेंगे “میں”॰ “है” को लिखेंगे “هے”, “हैं” को लिखेंगे “هیں” और “हैन” को लिखेंगे “هین”॰
बात: अब तक आपने दो हर्फ़ देखे हैं जिनसे “ह” की आवाज़ पैदा होती है – “ح” और “ھ”॰ इनके इस्तेमाल से “हल” लिखने के दो तरीक़े हुए “حل” और “هل”॰ उर्दू का एक और “ह” की आवाज़ वाला हर्फ़ है “ہ”, जिसका सिरा रूप भी होता है॰ “ہ” के इस्तेमाल से “हल” लिखें तो “ہل” लिखेंगे॰ देखिये – “ہندوستان” और “هندوستان” दोनों “हिन्दुस्तान” ही हैं॰ “ہ” अगर शब्द के बीच में हो तो उस का सिरा कभी-कभी अलग ढंग से लिखा जा सकता है, जैसे की “कहर” में – “کہر”॰ अगर शब्द के अंत में “ہ” हो तो कभी-कभी “ह” की बजाए “आ” या “ए” की आवाज़ पैदा कर सकता है॰ “که” “कह” भी हो सकता है और “के” भी॰ शब्द के अंत में “ہ” को कभी-कभी अलग ढंग से लिखा जाता है – “کہ” को “के” पढ़ेंगे॰ इस रूप में आवाज़ “आ” या “ए” की ही बनती है, “ह” की नहीं॰ “माँ ने कहा के वर्मा जी नहीं आए क्योंके मुश्किल था” को लिख सकते हैं “ماں نے کہا کے ورمہ جی نهیں آے کیونکہ مُشکل تها”॰
नौवीं : बस अब चंद ही हर्फ़ रह गये हैं जो आपने नहीं देखे॰ “ق” (“क़”), जिसका सिरा रूप भी होता है॰ देखिये – “اِراق” (“इराक़”) और “قیمہ” (“क़ीमा”)॰ “ذ” और “ظ” दोनो “ज़” हैं और दोनो के सिरे नहीं होते॰ “ط” “त” है, जिसका सिरा नहीं होता – “طبلہ” (“तबला”)॰ “ع” (“अ”, लेकिन कभी-कभी “इ”) और “غ” (“ग़”) दोनो के सिरे होते हैं जो शब्द के बीच में ज़रा अलग ढंग से लिखे जाते हैं – “غزل” (“ग़ज़ल”), “نِغل” (“निग़ल”), “باغ” (“बाग़”), “عاوام” (“आवाम”), “معف” (“मआफ़” यानि “माफ़”), “تعریف” (“तारीफ़”), “موقع” (“मौक़ा”), “عشق” (“इश्क़”), “شاعری” (“शाअरी” यानि “शायरी”)॰ “ص” (“स”) और “ض” (“ज़”) के सिरे होते हैं – “صاحب” (“साहब”), “ضروری” (“ज़रूरी”), “خاص” (“ख़ास”), “قِصّہ” (“क़िस्सा”, “ص” के ऊपर तश्दीद है)॰ अब आपका अनदेखा एक ही हर्फ़ बचा है, और वो है “ژ” (“झ़”) जिस से “टेलिविझ़न” वाली “झ़” की आवाज़ आती है॰ “टेलिविझ़न” को लिखेंगे “ٹیلیویژن”॰ “ژ” (“झ़”) का सिरा रूप नहीं होता॰
दसवीं बात: लिजीए, अब सीखने को कुछ बचा नहीं॰ जाते-जाते, दो शेर और एक अख़बार की सुरख़ी पढ़ते चले॰ उसके नीचे सारे हर्फ़ों की फ़हरिस्त है॰ जब तक हर्फ़ आपको याद न हो जाँए, आप इसको आराम से इस्तेमाल करें॰ चाहें तो छाप लें॰

7.
उर्दू भाषा के पूरे तथा आधे अक्षर
ا ب پ ت ٹ ثपूरे
आधे
ج چ ح خ د ڈपूरे
आधे
पूरे ز ر ڑ ز ژ س
आधे
ش ص ض ط ظ ع पूरे
आधे
غ ف ق ک گ لपूरे
आधे
م ن و ہ ی ےपूरे
आधे
अगर हम उर्दू भाषा में कोई शब्द लिखते हैं तो शुरू और बीच में वो आधा लिखा जाता है और सबसे अंत में वो पूरा लिखा तोय(ظ) जोए,(ط) जो हमेशा शुरू वह अंत में हमेशा पूरा लिखा जाएगा तथा जब हम किसी अक्षर के साथ दाल(د) को जोड़ते हैं तो उसकी बनावट रे के आकार की हो जाती है।

8.
दो अक्षरी शब्द
हक حق पग پگ धक دھک जल جل मन،من
मल مل पक پک रच رچ टल ٹل नलنل
गन گن जस جس छल چھل नग نگ टबٹب
लत لت कट کٹ जग جگ जप جب जटجٹ
रम رم वन ون दम دم सच سچ रबرب
पथ कल کل तक تک सबسب सरسر
छत कट کٹ तब تب बच بچ घटگھٹ
आप इस तरह से और भी दो अक्षरी शब्दों का अभ्यास करके लिखिए लेकिन बिना मात्रा वाले क्योंकि मात्रा आपको अब तक बताई नहीं है इसलिए आप केवल अक्षर जोड़ें और लिखें।

दो अक्षरी शब्दों के वाक्य
उठकर चल। जल भर। اٹھ کر جل بھر
रट मत। लङ मत। رٹ مت لڑ مت
छत पर मत चढ़। घर चल। چھت پر مث چڈھ
नल पर चल। नल पर टब भर।نل پر چل نل پر ٹب بھر
रथ पर मत चढ़। رتھ پر مت چڈھ
यश उठ नल पर जल भर। یش اٹھ نل پر جل بھر
सच सच कह। سچ سچ کہ
घर चल कर फल चख। گھر چل کر پھل چکھ
छत पर चढ़ कर मत लङ।چھت پر مث چڈھ
बस पर चढ़ कर घर चल।بس پر چڑھ کر گھر چل
इस तरह से आप अपनी तरफ से वाक्य बनाकर उनका अभ्यास कीजिए।

9.
तीन अक्षरी शब्दों के वाक्य
रमन झगड़ मत। رمن جھگڑ مت
अमन सड़क पर मत टहल। امن سڑک پر مت ٹحل
अगर मगर मत कर। اگر مگر مت کر
रजत नहर तक चल। رطت نہر پر چل
नमन अमर कलम पकड़।نمن امر قلم پکڑ
गरम गरम मटर चख।گرم گرم مٹر چکھ
रजत शहद चख।رطت شہد چکھ
दमन मटक मटक कर मत चल।دمن مٹک مٹک کر مت چل
रमन भजन कर। رمن بھجن کر
इस तरह से अपने आप वाक्य बनाकर उनका अभ्यास कर सकते हैं।

10.
चार अक्षर शब्द
गरदन گردن हलचल حلچل पचपनپچپن परचम پرچم
नटखट نٹگھٹ अचकन اچکن शबनम شبنم पनघट پنگھٹ
झटपट جھٹپٹ सरगम سرگم छम-छम چھمچم परगट پرگٹ
गणपतگنپت सरपट سرپٹ खटपट کھٹپٹ दशरथ دشرتھ

करवटکروٹ अहमद احمد अदरक ادرک धनपत دھنپت
उबटन ابٹن असलम اسلم पलटन پلٹن गड़बड़ گڑبڑ
अनबन انبن अकरम اکرم कटहल کٹحل खटमल کھٹمل
कसरत کسرت बरगद برغد शलगम شلغم सरकस سرکس
शरबत شربت अकबर اکبر बचपन بجپن बरतनبرتن

चार अक्षरों शब्दों के वाक्य
शबनम पनघट पर चल।شبنم پنگھٹ پر چل
बरतन भर। برٹن
दशरथ नटखट मत बन।دشرتھ نٹکھٹ مت بن
अहमद सरकस चल। احمد سرکس چل
शबनम उपवन तक चल। شبنم اپون پک چل
असलम अकरम घर चल।اصلم اکرم گھر چل
अकबर नल पर जल भर।اکبر نل پر جل بھر
कसरत कर। کسرت کر
अनवर बरगद पर मत चढ़انور برود پر مت چڈھ
छत पर चढ़। چھت پر مث چڈھ
गड़बड़ मत कर।گڑبڑ مت کر

11.
उर्दू परिवार / खानदान
मात्रा बताने से पहले मुझे लगता है कि उर्दू के अक्षर व उनके खानदानों का भी जिक्र करूं । जो उर्दू अक्षर जोड़कर शब्द बनाने के लिए बहुत जरूरी है । उर्दू हरूफ अर्थात अक्षरों को इन चार खानदान या परिवार में बांटा जा सकता है। पहले खानदान में केवल हमजा (ء) एकमात्र अक्षर है। हमजा का गुण यह है कि यह हमेशा पूरी शक्ल में लिखा जाता है और इसकी दाएं से बाएं लिखा जाता है। यह किसी और से छूता नहीं है ना ही छुआ जा सकता है। अगर हम दूसरे खानदान या परिवार की बात करें तो इस खानदान से संबंध रखने वाले नौ अक्षर हैं अलिफ, दाल, डाल, जाल, रे, ङे, जे, झे, वाओ है। इन नौ अक्षरों की उत्तमता यह है कि इन सब को भी इनके पूरे रूप में प्रयोग किया जाता है और इन्हें दाहिनी ओर से छुआ जा सकता है। परंतु इनके बाएं और अर्थात् उनका आगामी अक्षर से परे रहेगा। तीसरे खानदान या परिवार में केवल तोए, जोए इसके अधीन है। इन दोनों की तारीफ यह है कि यह भी हमेशा अपने पूरे रूप में प्रयोग होते हैं। इन्हें दाएं से बाएं दोनों और छूआ जा सकता है । चौथा और आखिरी खानदान या परिवार उपरोक्त तीनों खानदानों के कुल 12 अक्षरों छोड़कर बाकी 25 हरूफ चौथे खानदान में आते हैं। इन अक्षरों के गुण यह है कि यह सभी हमेशा अपने संक्षिप्त रूप में लिखे जाते हैं और इनको दाएं से बाएं दोनों ओर से छुआ जा सकता है । अब मैं आपको उर्दू की मात्रा ऐराब के बारे में बताऊंगा जिस तरह हर भाषा में मात्रा का होना जरूरी है ठीक उसी तरह उर्दू भाषा में मात्रा होती है। जो उर्दू सिखाने वाले के लिए बहुत जरूरी है । आइए और मात्रा की तरफ अपना ध्यान दें। सबसे पहले इन मात्राओं की जानकारी आपके लिए अति आवश्यक है। यह मात्राएं अक्षरों के ऊपर, नीचे या आगे लगती है।
मद की मात्रा ( آ ) :- यह मद का निशान अलिफ के ऊपर लगता है और हिंदी या उर्दू में ‘आ’ उच्चारण करती है।
जबर की मात्रा ( ا ) :- यह जबर की मात्रा का निशान है यह हर अक्षर के ऊपर लग सकती है। यह हिंदी और उर्दू में ‘अ’ का उच्चारण करती है।
जेर की मात्रा ( اِ ) :- यह जेर का निशान है जो कि जबर की तरह है फर्क इतना है कि जबर अलिफ के ऊपर लगकर है ‘अ’ और यह अलिफ के पैरों में या नीचे लगकर ‘इ’ मात्रा का उच्चारण करती है।
पेश की मात्रा ( اُ ) :- यह पेश की मात्रा का निशान है जो कि अलिफ के ऊपर लगता है तो यह ‘उ’ उच्चारण करती है।
उल्टा पेश की मात्रा ( وٗ ) :- यह उल्टा पेश का निशान है जो कि अलिफ के साथ या बाद में वाओ के ऊपर लगता है और ‘ऊ’ का उच्चारण करता है।
वाओ (و) छोटी ये (ی) और बड़ी ये (ے) हालांकि अक्षर हैं लेकिन यह मात्रा के रूप में इस्तेमाल होते हैं और यह अक्षर के आगे अर्थात बाईं ओर आते हैं। वाओ जोकि ओ, औ, ऊ का उच्चारण करते हैं। छोटी ये, बङी ये इ, ई का उच्चारण करते हैं। कहीं-कहीं यह दोनों और ए, ऐ का उच्चारण भी करते हैं।
इसी प्रकार शद या तश्दीद की मात्रा ( ّّ ) :- तश्दीद का निशान है जिसे हम रोमन में डब्लू (w) भी कह सकते हैं यह तस्वीर का निशान जहां पर एक अक्षर आधा और एक अक्षर पूरा (दोनों अक्षर समान हो) उसके ऊपर तश्दीद का निशान लगाया जाता है।
जज्म ( ) :- जज्म के निशान का प्रयोग तब किया जाता है। किसी शब्द की आवाज घटाने या बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह उस अक्षर के ऊपर लगती है। जिस अक्षर का उच्चारण लंबा या छोटा करना हो ।
जेर :- यह जब लगती है जब दो शब्दों के बीच पहले शब्द के बाद आती है। यह पहले शब्द के आखरी अक्षर के पैर के नीचे लगती है और ‘ए’ की आवाज देती है । जैसे हयात-ए-शादी।
10.खड़ी जेर और खड़ी जबर दोनों का निशान एक समान है। परंतु यह दोनों लगती अलग-अलग हैं। खड़ी जेर छोटी ये के ऊपर लगकर ‘आ’ की आवाज देती है और खड़ी जबर छोटी ये और बड़ी ये दोनों के छोटे रूप में नुक्ता जो कि नीचे लगते हैं कि ए, ऐ, ई की मात्रा का उच्चारण करते हैं ।
11. अब कुछ आवाज देखें :-
A – अ –ا
Aa – आ –آ
I/E – इ –ای
ee/i – ई -آی
U – उ -او
oo – ऊ –او
ए -اے
ऐ -اے
ओ -او
औ -او
अं – ان
अः –اہ

13.
अब हम सभी मात्रा के शब्दों को लिखेंगे
आ की मात्रा
आब آب आजाद آزادजलवा جلوا
आस اس जहाज جہازपाहवा پاہوا
आन آن रायतرایتہ दास داس
जाकर جاکرमजाक مجاقराज راج
हाथ लायक दार ہاتھ لایک دار
लाद नायक दाग
बाद रह दवा
कार लट दारा
हाट जातक दादा
दवाखाना राधा दादा
नाम दावा मामा
राम मामा बाबर
दाग लावा मारबल
दस हलवा डान

14.
इ की मात्रा
दिन निशान खटिया
दिल पिघल बिठाया
झिलमिल साइकिल नातिन
अतिथि सिखाना गिरगिट
इनाम बारिश पिता
इमारत चिल्का तिनका
कवि चिमटा टिकट
कविता शिकार जितना
किताब गणित तिल
किराना चिड़िया तिलहन
किराया विटामिन नदियां
किला धनिया जिला
किशमिश नीरज मिर्च
पिन जिम दिवाला
विमान रविवार दिल
शिव परिवार दलिया
सरिता मिलाना किरण
हिरण हिलाना लिखना
हिसाब तकिया सीखना
लिहाफ मिटाना चिढ़ाना

15.
ई की मात्रा के शब्द
अलमारी नीम आरती
बाल्टी सिटी आदमी
पीली गीता कहानी
बकरी चाची धरती
ककड़ी चाबी परी
जकड़ी खीरा लालची
झील नीर पथरी
भाभी फली लकड़ी
मछली पीडी मकड़ी
काली बीडी बीमारी
सीता दीवार मीनार
हीरा कश्मीर लकड़ी
मीरा आसमानी लीची
ताली नामचीन दीया
चाबी पिचकारी शरीर
नवनीत नमकीन कील
तकलीफ लजीज काकी
मजहबी नाशपाती दीपावली
16.
उ की मात्रा के शब्द
झुमका पुजारी फुलझड़ी
ठुमका जुआरी रुमाल
दुकान गुलाब सुख
पशु गुलगुला गुस्सा
तुलसी जामुन चुनरी
सुमन रूई चुंदड़ी
कुमकुम फुटपाथ धन्यवाद
जुलाब युवा कुसुम
अनु कछुआ गुदगुदी
जामुन सुराही लघु
कुमार फुल सुन
कुतर बुखार मुन्ना
झुनझुना बटुआ धुन
डुगडुगी खतुआ दुख
बुधनी झुरमुट हनुमान
बुलबुल मुरमुरा कुरकुरा
गुनगुन फुलवारी मुरमुरा
मुख मुनमुन टुनटुन

17.
ऊ की मात्रा के शब्द
जूता स्कूल कबूतर
झूला कूलर चालू
तराजू गूंज भालू
खुराक पूरब सूप
जुराब खरबूजा धूल
मूली तरबूज कपूर
सूरज पतलून दूल्हा
जादू मजबूत पूर्णिमा
चूहा नूतन तूफान
खून पूजा सबूत
फूल खूब साबुत
चूड़ीदार अमरूद त्रिशूल
धूम सूचना पूनम
शहतूत रूट सूली
फूलदान शुरू आलू
पूजनीय नाखून कचालू
जूनियर रतालू जादूगर
टूट खूबसूरत चूरमा

Language: Hindi
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