उम्र भर
उम्र भर
तेरी धड़कन सुन मैं बोल उठी,
तेरी सांसों पर मैं डोल उठी।
बस प्रीत स्वर में स्वर भर कर,
सुन तुझको गीत बना गाया,
प्रिय हमने तो उम्र भर।
सदा मुझपर उठी जग की अंगुली,
पग बंधी बेड़ी,पर मैं नहीं संभली।
तेरे बंधन में बंधी हुई मैं रुकी नहीं पल भर,
खिंचती चली गई तुम संग,मैं प्रीत में उम्र भर।
सुनो,वर्तमान का कृत्य है उगलना,
नित भविष्य कृत्य है निगलना।
है प्रीत संज्ञान,सदासत्य श्रेष्ठ कठिन राह,
चलती रही नीलम लिए चाह हृदय भर,
तुमको ही कण कण में खोजा हे ईश मेरे उम्र भर।
नीलम शर्मा