उम्र भर के लिए ज़मी पे आया कौन है?
मौत को शिकस्त दे पाया कौन है
उम्र भर के लिए ज़मी पे आया कौन है।
दो-चार क़दम का सभी का सफर है,
पूरे रास्ते पे चल पाया कौन है।
उम्र भर—————-आया कौन है।
एक न एक दिन टूट जाती है सबकी
ही साँसों की अनूठी डोर,
ज़िंदगी से आगे ज़िंदगी को
जी पाया कौन है।
उम्र भर—————–आया कौन है।
सौ महल हो यहाँ या हो फिर
नन्ही सी झोपड़ी।
इक़ महल में ताउम्र रह पाया कौन है
उम्र भर——————आया कौन है।
हासिल हो सबकुछ तो क्या
हर चीज़ का उपभोग कर पाया कौन है।
पैसों से बिस्तर बेशक़ सजा हो,
चैन से फिर भी सो पाया कौन है।
उम्र भर——————-आया कौन है।
हो फूल ज़िन्दगी या बे-हिसाब
काँटो से भरा बग़ीचा हो।
शुगंध देती है तो ये बताओ काँटों से
अबतक बच पाया कौन है।
उम्र भर——————-आया कौन है।
रंजिसे, दर्द,चुभन और चोटें
सबके हिस्से में हुआ करती हैं।
लाख ख़ुशी का दामन थामकर भी
ग़म से हाँथ छुड़ा पाया कौन है।
उम्र भर——————-आया कौन है।
तम जब चाहे निकल आता है
सूर्य को अस्त होने से रोक पाया कौन है।
होनी तो होकर ही रहती है
इक़ पल को भी इसे टाल पाया कौन है।
उम्र भर——————–आया कौन है।
बेशक़ मेहरबान रहे तक़दीर फिर भी
इसे बदल पाया कौन है।
ज़िन्दगी सुख दुःख और संघर्ष का कुआं है,
बिन डूबे आख़िर उभर पाया कौन है।
उम्र भर———————आया कौन है।
कवि-वि के विराज़
समय-10:56
तिथि-02/03/2021