उम्र की आखिरी दहलीज पे
चेहरे पर झुर्रियां
आंखों में इंतजार
मान क्यों नहीं लेते
जैसे पहले था
वैसे ही अब भी करती हूं
उम्र की आखिरी दहलीज पे
मैं सबको भरपूर प्यार
मेरी उम्र बढ़ी तो
मेरी कीमत घटी
प्यार की चाहत
मेरे दिल में फिर भी पर
कभी किसी के लिए
न रत्ती भर कम हुई
लौट आओ मेरे आगोश में कि
मैं भी लौटने की
किसी अंजान परदेस के सफर की
तैय्यारी में
फिर न मिल सकेंगे हम
इस जन्म में, इस भेष में
तुम्हारा मन न भी हो तो
मेरा मन तो रख लो
भारी मन लिए
टूटे भरोसे के साथ तो
कम से कम
इस दुनिया से न मुझे
हमेशा के लिए
इतनी बेरुखी से तुम सब विदा करो।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001