उम्र का तकाज़ा
आख़िर झूठे खिलौनों से
बहलते रहोगे कब तक!
दूध पीते बच्चों की तरह
मचलते रहोगे कब तक!!
राह में ठोकरें खाना तो
इस उम्र का तकाज़ा है !
तुम गिर जाने के डर से
संभलते रहोगे कब तक!!
Shekhar Chandra Mitra
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