उम्मीद बच्चों से
जीवन जिया है मुश्किलों में
बचपन से ही साथ है गम का
रहना चाहा अपनों के साथ
लेकिन साथ मिला है तन्हाई का।।
जानता हूं जो मिलना चाहिए तुम्हें
मैं वो सब तुम्हें दे नहीं पा रहा हूं
लेकिन जो चाहता है तू मुझसे
मैं अनजान नहीं, सब समझ पा रहा हूं।।
देना चाहता हूं हर खुशियां तुमको
लेकिन हालात मेरे है अच्छे नहीं
मुश्किल से चला पाता हूं गुज़ारा
समझते हो तुम भी, अब बच्चे नहीं।।
मिटेंगे दुख जब हमारे जीवन से
गरीबी से आयेंगे हम भी बाहर
कोशिश करता रहा हूं मैं हमेशा
मेरे बच्चे जूते पहनकर जाएं बाहर।।
होती थी पीड़ा बहुत मुझको भी
जब भूखे ही रह जाते थे तुम
राह देखते थे मेरी, कब आऊंगा मैं
और सो जाते थे भूखे पेट ही तुम।।
जब न मिलते थे खिलौने तुमको
फिर भी थी कोई शिकायत नहीं
दोस्तों के अच्छे कपड़े देखकर भी
मन में तुम्हारे कोई अदावत नहीं।।
सुधर रहे अब हालत हमारे
तुम भी हो रहे अब तो बड़े
है प्रार्थना ईश्वर से मेरी,हो जाओ
तुम जल्दी अपने पैरों पर खड़े।।
यकीनन फिर तुम अपने घर को
झोंपड़ी से पक्के घर में बदलोगे
है उम्मीद मुझे तुमसे, अब तुम ही
अपने मां बाप की तकदीर बदलोगे।।