उम्मीद -ए- दिल
आलम -ए -बेताबी -ए- दिल का हुआ ये हाल,
वो तस्वीर ज़ेहन से ना उतरती करती है बे-हाल ,
मुज़्तरिब सा बहका- बहका रहता हूँ ,
दीवाना सा भटका- भटका रहता हूं ,
इक सोज़ दिल में जगाए रखता हूं ,
इक उम्मीद ख़यालों में बसाए रखता हूं ,
मेरी वफ़ाओं का सिला कभी ना कभी मिलेगा ,
उनके दिल में मेरे एहसास का फूल भी खिलेगा ।