उम्मीदों का घर
उम्मीदों का घर बना
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कच्ची मिट्टी से बना
विश्वास की डोर बंधा
सावन का महीना है
बारिश का बंधा समा
हसरतें मासूम होती है
छोटे बच्चे के जैसे बना
मायूस सा बन जाता
बंधे उम्मीद की डोर
स्नेह की डोरी में बंधा
हर रिश्ता अनमोल है
छोटी- छोटी बातों को
कर नज़र अन्दाज़ जा
जीवन खुशहाल बना दे
खुशियों की बगिया दे सजा
मन मन्दिर महका दे
हर एक लम्हा दे सज़ा
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़, हरियाणा