उम्मीदों का उगता सूरज
उम्मीदों का उगता सूरज
बादलों में मौन खड़ा है |
जीत उसी ने पाई है ,
जो संघर्षों से लड़ा है |
सामने सूरज हो भले
वह अकेला खड़ा है |
खुद पर भरोसा उसे
जुगनू सा वो अडा है |
लाखो संघर्ष चाहे,
मार्ग में भले उनके
उसकी जिद के आगे
उसका हौसला बढ़ा है |
अनन्त हार से भी
मुकम्मल खड़ा है |
जीत का जज्बा ,
आसमान से बड़ा है |
कवि दीपक सरल