उम्मीदे तैरती रहती हैं
उम्मीदें तैरती रहती है,
कश्तियां डूब जाती है।
कुछ घर सलामत रहते है,
आंधियाँ जब भी आती है।।
बचा ले जो हर तूफ़ान से
उसे आशा हम कहते है।
बड़ा मजबूत है ये धागा,
जिसे विश्वाश हम कहते हैं।।
भावनाएं बह जाती है,
मन में आए सैलाब से।
रिश्ते भी टूट जाते है,
दिल में आए इंतकाम से।।
निराशा में बह जाता हूं,
बंदा दुखों के बहाव में।
आशा की किरणे आती है,
उसके सुखों के सैलाब में।।
रिश्ता एक अजीब धागा है,
जो विश्वाश पर टिकता है।
अविश्वास होने पर अक्सर,
ये सदा के लिए टूट जाता है।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम