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13 May 2021 · 1 min read

“उम्मीदें”

रोटी के इंतजाम में निकले,
जिंदगी बेजान लगती है।

वक्त का पासा पलटा,
जिंदगी परेशान लगती है।

अब लौट कर कहां जाएं,
बस जान बेजान लगती हैं।

हाथों में रोटी लेकर खुश हैं,
खाने में कोई हैवान लगती हैं।

अनवरत संघर्ष रहेगा जारी,
ये त्रासदी जीवन दान लगती है।

ये अजीजों हौसला रखना,
जीतेंगे हम लगा देगे जो जान लगती है।

रगड़ रगड़ कर देखा हाथों को,
ये बीमारी ऊंची मेहमान लगती हैं।

हम भी हथियार नहीं डालेंगे,
फिर से चहल पहल होगी जो गलियां सुनसान लगती है।

उम्मीदें कायम है खुशियों की,
आयेगी जो आज जिन्दगी परेशान लगती है।।
@निल(सागर,मध्य प्रदेश)

Language: Hindi
3 Likes · 7 Comments · 312 Views
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