उमस भरा दिन
उमस भरा दिन
—————–
चल उठ
ए सी छोड़
निकल
ओ विकल
आषाढ़ का दिन
चढ़ आया है
जरा धूप
की तपिश
महसूस कर
हवा में नमी
महसूस कर
कुछ पसीना
जिस्म का बहा
फिर कपड़ों
का पसीने से
भर जाना
महसूस कर
पसीने का नमक
बन बनियान पर
चिपक कर
अकड़ जाना
महसूस कर
नमक हरामी
नमक हलाली
का फ़र्क़
महसूस कर।
चल उठ
ए सी छोड़
निकल
ओ विकल
नंगे पांव
दस कदम चल
फिर धरती का ग़म
महसूस कर
ढूंढ किसी
नीम का साया
फिर नीम पर
सूरज की चुभन
महसूस कर
अभी बरखा
बहुत दूर है
किसी मेहनतकश की
मेहनत की शिद्दत
महसूस कर
तपेगा वह ताउम्र
वह बरसात के लिये
सहेगा उमस
तब तक
उसके सब्र का इंतज़ार
महसूस कर
—————
राजेश’ललित’
—————–