उमंग
उमंग देखो आज प्रकर्ति पर कैसी छाई
तितलियां फूलों से देखो रस को चुराएँ
आओ सूरज से मिलें, गर्मी उसकी चुराए
आओ सागर किनारे, लहरे उसकी भाएँ
आओ चांद निहारे,चांदनी उसकी चुराए।
उमंग देखो आज प्रकर्ति पर कैसी छाई
आओ चलो पार्क चलें,फूल वहां मुस्काये
चलो पानी संग बहें, वो जीवन जीना सीखाएं
आओआकाश में निहारे पंछी उड़ान सिखाये
चलो धरती में समा जाए ,वृक्ष बन लहरायें
उमंग देखो आज प्रकर्ति पर कैसी छाई
चलो दौड़े हवा में, उसकी शीतलता ली जाए
चलो पहाड़ पर चढ़े,सेहत बनाइ जाए
चलो झरने के नीचे, पानी में नहाया जाए
चलो मेघों बरसे हैं उनके भीगा जाए
उमंग देखो आज प्रकर्ति पर कैसी छाई
चलो माँ की साड़ी पहने,माँ की याद आये
चलो पापा की फ़ोटो से,आज बात कर ली जाए
चलो मामा के घर जाकर,माँ को याद किया जाए
चलो गोद माँ की याद कर,अब सो लिया जाएं
उमंग देखो आज प्रकर्ति पर कैसी छाई
चलो एक बार बच्चा बन कर फिर से खेला जाए
बचपन को याद करके ,आज मस्ती कर ली जाएं
बचपन की दुनिया ,फिर से याद कर ली जाए
फिर से पुराने शहर जाकर,दोस्तो से मिला जाए