‘उफ’
रहती नहीं जवानी देख
नदी भी मांगे पानी देख
उम्र गुजरती चुपके-चुपके
रहती एक निशानी देख
पुतले दो मिट्टी के मिलके
गढ़ते नई कहानी देख
झिड़की तल्खी तोड़ रही
मरता आंख का पानी देख
चकनाचूर किए जाती है
तोड़े रिश्ते बानी देख
मेरी मुश्किल मेरी मुश्किल
तू अपनी आसानी देख
तन छूने को ये जग हाजिर
बंध पे आनाकानी देख
जो सीखा उससे सीखा है
दुआ बनी है नानी देख
एक किनारा दे दे इसको
कश्ती हुई पुरानी देख
सपनों के कल फूल खिले थे
अब ऑंखों का पानी देख
स्मृतियों को रोक न पाऊं
इस मन की मनमानी देख
आंखों में ये हुआ तमाशा
बुझा आग से पानी देख
सारी दुनिया को समझे जो
ख़ुद से है अन्जानी देख
साहिल ही है सच्चा साथी
लहर ये आनी जानी देख
रश्मि लहर