उफ!! ये परीक्षाएँ
निकली जब स्कूल के लिये,
गाड़ियों का शोर, समुद्री लहरें- हवा की भीनी-भीनी खुशबू,
सभी मन ही मन मुस्कुरा रहे थे, बोल उठे……..उफ!! ये परीक्षाएँ
सामने थी टीचर जी,हाथों में थे इतिहास के पर्चे,
सौ नंबर का पर्चा देख छा गया अंधकार, खुजाने लगी अपने सिर को,
आंखें मूंद कर याद करने लगी संकट मोचन हनुमान को …….. उफ!! ये परीक्षाएँ
देख मुझे प्रश्न पत्र भी बड़बड़ाने लगा, नहीं रटे ये उत्तर तूने,
अरे!!अठारह सौ सत्तावन में किसके बीच युद्ध हुआ, क्या करना है मुझे इससे,
पूछ लेते…..कौन थी रानी पद्मावती?फौरन लिख देती दीपिका पादुकोण……..उफ!! ये परीक्षाएँ
3 घंटे की कैद, छींक को भी है ‘नो एंट्री’ जनाब,
माना आ- जा नहीं सकते कही, चलो जुल्फों से ही खेल ले,
बना मेज को तबला गाना ही गुनगुना ले…….. उफ!! ये परीक्षाएँ
ध्यान भटका जरा-सा टीचर जी का,
खेल लिये गुली डंडा, काफी थी पेंसिल-रबड़ उसके लिए,
नहीं कर सकते बातें पड़ोसी से, पर ऑंख-मिचौनी तो खेल सकते उससे…….. उफ!! ये परीक्षाएँ
रात-भर सोने नहीं दिया फेसबुक नोटीफिटेशन ने,
मौका भी है दस्तूर भी, पूरी कर ले तू अपनी नींद
गीता बोली….. कर्म कर, फल की इच्छा मत रख तू…….. उफ!! ये परीक्षाएँ
खुली नींद सामने खड़ी थी टीचर जी,
आया विचार मन में, है अच्छी ईमेज अपनी कक्षा में,
थाम कलम हाथों में, चला दे जादू पेपर पर…….. उफ!! ये परीक्षाएँ