Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jan 2018 · 1 min read

उफ!! ये परीक्षाएँ

निकली जब स्कूल के लिये,
गाड़ियों का शोर, समुद्री लहरें- हवा की भीनी-भीनी खुशबू,
सभी मन ही मन मुस्कुरा रहे थे, बोल उठे……..उफ!! ये परीक्षाएँ

सामने थी टीचर जी,हाथों में थे इतिहास के पर्चे,
सौ नंबर का पर्चा देख छा गया अंधकार, खुजाने लगी अपने सिर को,
आंखें मूंद कर याद करने लगी संकट मोचन हनुमान को …….. उफ!! ये परीक्षाएँ

देख मुझे प्रश्न पत्र भी बड़बड़ाने लगा, नहीं रटे ये उत्तर तूने,
अरे!!अठारह सौ सत्तावन में किसके बीच युद्ध हुआ, क्या करना है मुझे इससे,
पूछ लेते…..कौन थी रानी पद्मावती?फौरन लिख देती दीपिका पादुकोण……..उफ!! ये परीक्षाएँ

3 घंटे की कैद, छींक को भी है ‘नो एंट्री’ जनाब,
माना आ- जा नहीं सकते कही, चलो जुल्फों से ही खेल ले,
बना मेज को तबला गाना ही गुनगुना ले…….. उफ!! ये परीक्षाएँ

ध्यान भटका जरा-सा टीचर जी का,
खेल लिये गुली डंडा, काफी थी पेंसिल-रबड़ उसके लिए,
नहीं कर सकते बातें पड़ोसी से, पर ऑंख-मिचौनी तो खेल सकते उससे…….. उफ!! ये परीक्षाएँ

रात-भर सोने नहीं दिया फेसबुक नोटीफिटेशन ने,
मौका भी है दस्तूर भी, पूरी कर ले तू अपनी नींद
गीता बोली….. कर्म कर, फल की इच्छा मत रख तू…….. उफ!! ये परीक्षाएँ

खुली नींद सामने खड़ी थी टीचर जी,
आया विचार मन में, है अच्छी ईमेज अपनी कक्षा में,
थाम कलम हाथों में, चला दे जादू पेपर पर…….. उफ!! ये परीक्षाएँ

Language: Hindi
1 Like · 693 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कहो उस प्रभात से उद्गम तुम्हारा जिसने रचा
कहो उस प्रभात से उद्गम तुम्हारा जिसने रचा
©️ दामिनी नारायण सिंह
सावन भादो
सावन भादो
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
शुभ शुभ हो दीपावली, दुख हों सबसे दूर
शुभ शुभ हो दीपावली, दुख हों सबसे दूर
Dr Archana Gupta
*बॉस की चिड़िया बैठाना (हास्य व्यंग्य)*
*बॉस की चिड़िया बैठाना (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
तुम-सम बड़ा फिर कौन जब, तुमको लगे जग खाक है?
तुम-सम बड़ा फिर कौन जब, तुमको लगे जग खाक है?
Pt. Brajesh Kumar Nayak
आसमां से गिरते सितारे का एक लम्हा मैंने भी चुराया है।
आसमां से गिरते सितारे का एक लम्हा मैंने भी चुराया है।
Manisha Manjari
*कृष्ण की दीवानी*
*कृष्ण की दीवानी*
Shashi kala vyas
अतीत
अतीत
Shyam Sundar Subramanian
3155.*पूर्णिका*
3155.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
घर पर घर
घर पर घर
Surinder blackpen
जीवन जीते हैं कर्मठ
जीवन जीते हैं कर्मठ
Chitra Bisht
जो हमें क़िस्मत से मिल जाता है
जो हमें क़िस्मत से मिल जाता है
Sonam Puneet Dubey
गीतिका
गीतिका
जगदीश शर्मा सहज
मैं जानता हूॅ॑ उनको और उनके इरादों को
मैं जानता हूॅ॑ उनको और उनके इरादों को
VINOD CHAUHAN
#विश्व_संस्कृत_दिवस
#विश्व_संस्कृत_दिवस
*प्रणय*
कहतें हैं.. बंधनों के कई रूप होते हैं... सात फेरों का बंधन,
कहतें हैं.. बंधनों के कई रूप होते हैं... सात फेरों का बंधन,
पूर्वार्थ
होते फलित यदि शाप प्यारे
होते फलित यदि शाप प्यारे
Suryakant Dwivedi
करवाचौथ
करवाचौथ
Satish Srijan
पश्चिम हावी हो गया,
पश्चिम हावी हो गया,
sushil sarna
*लव इज लाईफ*
*लव इज लाईफ*
Dushyant Kumar
जब याद सताएगी,मुझको तड़पाएगी
जब याद सताएगी,मुझको तड़पाएगी
कृष्णकांत गुर्जर
Uljhane bahut h , jamane se thak jane ki,
Uljhane bahut h , jamane se thak jane ki,
Sakshi Tripathi
आदमी की संवेदना कहीं खो गई
आदमी की संवेदना कहीं खो गई
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
श्री गणेशा
श्री गणेशा
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
माँ मुझे जवान कर तू बूढ़ी हो गयी....
माँ मुझे जवान कर तू बूढ़ी हो गयी....
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मेरे जिंदगी के मालिक
मेरे जिंदगी के मालिक
Basant Bhagawan Roy
तुम मुझे यूँ ही याद रखना
तुम मुझे यूँ ही याद रखना
Bhupendra Rawat
अब भी वही तेरा इंतजार करते है
अब भी वही तेरा इंतजार करते है
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
लत
लत
Mangilal 713
"सफलता की चाह"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...