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19 Jul 2024 · 1 min read

उफ्फ,

उफ्फ,
तेरे रुखसार से
टपकती ये बूंदे पानी की
चाँदनी रात ने
शबनम से भिगोया है
फूलों को

हिमांशु Kulshrestha

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