उफ़! राजनीतिक दलों की भीड़
एक देश में असंख्य राजनीतिक दल ,
तो विरोध के स्वर अधिक गूंजेंगे ही ।
किसी भी मुनासिब कदम पर सरकार के ,
राह तो यह खुरापाती रोकेंगे ही ।
क्या ही बेहतर होता की हमारे देश में ,
मात्र दो ही राजनीतिक दल होते ।
एक होता विपक्ष में, एक शासन करता ,
सांसद भवन में इतने झगड़े रोज न होते ।
ना ही आरोप प्रत्यारोप ,अपशब्द और छींटाकशी ,
बड़ी शराफत और तमीज से शासन करते ।
अब तो किसी का मुंह पूरब की ओर है ,
को किसी का पश्चिम की ओर।
ऐसे में इनके आपसी तालमेल की हम ,
उम्मीद ही नहीं कर सकते ।
उस पर ऐसे में यह गोदी मीडिया आग में घी डाले ,
जो इतने बड़बोले ,एक पल भी चुप नहीं रह सकते ।
भगवान ही बचाए हमारे देश को ,
अब हम उन्हीं से है दुआ करते