उपहार
दो वक्त की रोटी के खातिर-
-सड़कों पर लाचार, परेशान-
-बेबस इंसान-
एक उम्मीद की किरण-
-कुछ अनजान शख्स-
चेहरे पर एक मुस्कान लिए-
-हाथों को बढ़ाते-
-बोलते खा लो दादा-
-मेरे जन्मदिवस का यह उपहार-
-आज बनेगा आपका आहार….
डॉ माधवी मिश्रा ‘ शुचि ‘