उपहार
भगवान की भक्ति उपहार है।
धर्म रुपी चरित्र उपहार है।
प्यार का स्वरुप उपहार है।
दोस्त की मित्रता उपहार है।
अज्ञानी को ज्ञान उपहार है।
सत्य को न्याय उपहार है।
रोगी को सेहत उपहार है।
गरीबी को ताकत उपहार है।
राजा को धर्म उपहार है।
मनुष्य को संस्कार उपहार है।
पशू – पक्षी को आजादी उपहार है।
बच्चे को अच्छी शिक्षा उपहार है।
युवा को लक्ष्य प्राप्त करना उपहार है।
देश को वीर की वीरता उपहार है।
उपहार तो संस्कार और मेहनत से ही मिलती है।
ये उपहार कोई खरीद नही सकता,
सत्कर्म से ये उपहार हासिल होता है।
जि. विजय कुमार
हैदराबाद, तेलंगाना