उपहार
सोच रहा क्या मांगू प्रभु से,अपने ही आज जन्म दिन पर।
सब कुछ तो देकर रक्खा है,बस प्रभु आप पधारो मेरे घर पर।।
सेवा का अवसर दे दो प्रभु,क्या अर्पित करूं मैं आप के दर।
सब कुछ दिया आपका ही है,बस आपका हाथ रहे सर पर।।
फिर भी हाथ जोड़ के आया,मैं प्रभु आज फिर आपके दर पर।
तभी तो आपकी नजर पड़ेगी,मुझ पर और मेरे सारे बच्चों पर।।
आपकी एक नज़र से मिलती है,सुख और शांति जीवन भर।
बस गलतियों की माफी देना,और आशीष लुटाना हम पर।।
क्षमा याचना करता हूं मैं,अपने सारे जाने अंजाने किए कार्यों पर।
और उपहार स्वरूप मैं माँगू,आपसे आपकी कृपा दृष्टि हम सब पर।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी