उपहार मिलेगा
अब विटपों को लतिकाओं का,
उन्हें गले में हार मिलेगा..।
उपवन जो वीरान हो गये,
मधुमासी गुलजार मिलेगा..।
इठलायेंगी नित्य तितलियाँ,
रंग बिरंगी लेकर दुनिया ।
आलोकित कर दिखलायेंगी,
मधु सौरभ से सिक्त रश्मियाँ ॥
कलिका के अधरों पर स्नेहिल,
नित नूतन शृंगार मिलेगा.. I
क्लान्त कलित कोमल कलवन्ती,
मुखर कामिनी हो जायेंगी ।
चक्षु – चषक से उनके कितनी,
मधुशालाएँ सो जायेंगी।।
मदहोशी की सुख से वंचित ,
प्राणों को संचार मिलेगा… I
गदराये खेतों में गेहूँ,
गदगद से हुए किसान सभी।
प्रिया प्रफुल्लित नवकोंपल सी,
अब हुए फलित अरमान सभी ॥
गृह – कानन को ऋतुपति जैसा,
शस्य-सुधा उपहार मिलेगा..