“उन दिनों पिताजी, डाटा नहीं करते थे”
बहुत खूबसूरत थे वो दिन,
उन दिनों पिताजी, डाटा नहीं करते थे।
मेरी गलतियों को, किसी के साथ
बांटा नहीं करते थे।
मैंने बचपन में कागज की,कस्तिया बनाई थी ।
अपनी खुशी की खातिर, अक्सर पानी में उसे डूब आईं थी ।
फ़िर भी पिताजी, मुस्कुराया करते थे।
मेरी गलतियों को किसी के साथ,
बांटा नहीं करते थे।
मैंने बनाया है, कागज का हवाई जहाज भी।
ऊचे आकाश में नहीं ,अक्सर हवा में उड़ आई है।
मेरे पिताजी अक्सर ,मुझे समझाया करते थे।
मेरी गलतियों को किसी के साथ,
बांटा नहीं करते थे।
मैंने मिट्टी के, रेत के घर बनाए हैं।
फ़िर अक्सर ,अपने हाथों से उसे गिराए हैं।
मेरे पिताजी ,मुझे चांटा नहीं मारा करते थे।
मेरी गलतियों को किसी के साथ,
बांटा नहीं करते थे।
कितनी खूबसूरत थे वो दिन,
उन दिनों पिताजी, डाटा नहीं करते थे।