उन्हे ढूँढने मे जमाने लगे थे
महफ़िल को अपनी सजाने लगे थे ।
उन्हे ढूँढने मे जमाने लगे थे ।।
उन्हे अपनी पलको पे बिठाने लगे थे।
उन्हे अपने दिल मे बसाने लगे थे ।।
सपनो मे हमको वो सताने लगे थे ।
धीरे से दिल ही दिल समाने लगे थे ।।
आंसू खुशी के हम बहाने लगे थे ।
दिल ही मे सब कुछ लुटाने लगे थे ।।
“कृष्णा” के दिल मे समाने लगे थे ।
उन्हे अपने दिल मे बसाने लगे थे ।।
✍कृष्णकांत गुर्जर