उन्हें फुर्सत कहां मिलती __ शेर
उन्हें फुर्सत कहां मिलती है किसी को जानने की.
अपनी ही चलाते रहते हैं मानते नहीं बात मानने की.
किस नाम से पुकारा जाए ऐसे लोगों को बताना यारों,
आदत ही पड़ गई हो जिसकी स्वयं की तानने की।।
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जीवन बहता सा झरना है, उस पर भी उतरना है।
छूटता जा रहा पीछे, आगे बहुत कुछ करना है।।
जो गलतियां हुई छोड़ दीजिए ,पथ अब मोड़ लीजिए।
किसी से डरो ना डरो, विधाता से तो डरना है।।
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राजेश व्यास अनुनय