उन्हें पुकारो।
उन्हें पुकारो जिनके आने से,
मन की पहचान खरी हो।
मरुथल कोशिश भी कर लें पर ,
नागफनी ही दे पाएंगे,
रेत ही जिनका मन हो तन में,
नमी कहां से ले आएंगे,
वे ही सिंधु बना सकते हैं,
जिनका ह्रदय एक सरी हो,
उन्हें पुकारो जिनके आने से,
मन की पहचान खरी हो।
सावन में कब सारे बादल ,
शीतल जल लेकर आते हैं,
प्यासी पथराई आंखों को,
कितने ही दल छल जाते हैं,
उस बदली की ओर निहारो,
जो व नेह भरी हो,
उन्हें पुकारो जिनके आने से,
मन की पहचान खरी हो।
हर मिट्टी में गुण होता तो,
फूलों से धरती अट जाती,
उनके खुशबू व पराग से ,
हर परती ढंकती पट जाती,
बीज उसी धरती में डालो,
जहां ऊष्मा और नमी हो,
उन्हें पुकारो जिनके आने से,
मन की पहचान खरी हो।
कुमार कलहंस।