उन्नति-मंत्र
परिश्रम कर या फिर कर हजूरी
जीवन में आगे बढ़ना है जरूरी
तरक्की के बदल गए तौर तरीके
चमचागिरी, जी हजूरी है जरूरी
अधिकारी को रखोगे सदैव खुश
कार्यालय कार्य करने नहीं जरुरी
होंगे अगर खास के खासमखास
पदोन्नति में नहीं होगी कोई देरी
साहिब कुटुम्ब के बने रहो स्तंम्भ
उन्नति में नहीं होगी कोई मजबूरी
सेवा का मिल जाएगा तुम्हें मेवा
नहीं करनी पड़ेगी कोई मजदूरी
जुबान में रखो तुम सदा हाँ- हाँ
जून सुधर जाएगी तुम्हारी पूरी
वरिष्ठ रह जाएंगे तुमको ताकते
बीच से निकल ,होगी आस पूरी
परिश्रम की नहीं रहेगी जरूरत
निजी उपहार भेंट करने जरूरी
मुख पर होनी चाहिए मुस्कराहट
खिलाते रहो तुम उन्हें मीठी चूरी
खाली रहें ना कभी उनकी जेबें
रिश्वत से भरते रहो तुम तिजोरी
आज के युग का हैं ये उन्नति मंत्र
लोकतंत्र व्यवस्था की है मजबूरी
जीवन में बढ़ने की यही है कूंजी
सुखविंद्र बोस की करो जी हजूरी
-सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
9896872258