उनको मेरा नमन है जो सरहद पर खड़े हैं।
उनको मेरा नमन है जो सरहद पर खड़े हैं।
उनसे ही ये चमन है जो सरहद पर खड़े हैं।।
अपने वतन के वास्ते है दिल में मुहब्बत।
सर पे बधा कफ़न है जो सरहद पर खड़े हैं।।
मां भारती के लाल फिर कमाल कर गए।
सरहद पर दुश्मनों का बुरा हाल कर गए।।
कारगिल हो या गलवान जहां भी मिला मौका।
हर बार की तरह वो बेमिसाल कर गए।।