उनके लिए मेरा मन क्यों उदास है ?
रौनक भरी उनकी इस महफ़िल में,
उनके लिए मेरा मन क्यों उदास है ?
खड़ें हैं सामने उनके सभी भीड़ में,
नहीं वो क्यों मेरे पास हैं ?
चारों ओर शोर ठहाका नजारों में,
पर होंठ क्यों मेरे चुपचाप हैं ?
सभी व्यस्त इधर उधर की बातों में,
हम बतियाते क्यों अपने आप हैं ?
मुंह फेर कोई बात ना करे हमसे,
हमें फिर क्यों उनका इंतजार है ?
हर कोई दोस्तों से घिरा, मगर
अकलेपन में हमें क्यों उनकी तलाश है ?
न बात करते हों मुझसे वो अब,
फिर मुझे क्यों उनसे ये आस है ?
उनके बेरुखे व्यवहार में किस्सा कोई जरूर है,
मगर कसूर क्या मेरा, मसरूफियत क्यों मुझसे है ?
बेशक रूठकर मुझसे दूर वो चलें जायें,
दूर होकर भी मुझे क्यों उनसे हीं फरियाद है ?
उनके लिए मेरा मन क्यों उदास है ?
लेखक – मनोरंजन कुमार श्रीवास्तव
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