उनके निगाह-ए-करम का कुछ ऐसा असर हुआ था
आज कल उनको भेजे हुए खतों का जवाब नहीं आता,
शायद अब हमारा, बार-बार उनके दरवाजे पर खट खटाना उनको पसंद नहीं ।
पर क्या करे ये मन, शायद उन्हें इल्म नहीं इस बात का कि
कुछ ऐसा असर हुआ था उनके निगाह – ए – करम का हमारे ऊपर,
की उनका अब हमसे दूर जाना इस दिल – ए – नाशाद को मंजूर नहीं ।