उनकी मोहब्बत…
उनकी मोहब्बत, हमें रोज रुलाती रही
गुनाह-ए-इश्क़ का, फरमान सुनाती रही
तन्हा जीने की सजा, हमको सुनाकर
पहलू से कभी पास, कभी दूर जाती रही…
-✍️देवश्री पारीक ‘अर्पिता’
उनकी मोहब्बत, हमें रोज रुलाती रही
गुनाह-ए-इश्क़ का, फरमान सुनाती रही
तन्हा जीने की सजा, हमको सुनाकर
पहलू से कभी पास, कभी दूर जाती रही…
-✍️देवश्री पारीक ‘अर्पिता’