उनकी उल्फत देख ली।
गज़ल
2122/212
उनकी उल्फत देख ली।
सारी दौलत देख ली। 1
कैसे तुम पर हो यकीं,
अब हकीकत देख ली। 2
प्यार की प्रतिमूर्ति जो,
वो इमारत देख ली। 3
क्या पिता दें जाऍंगे,
वो बसीयत देख ली। 4
दोस्तों में हो रही,
वो अदावत देख ली। 5
जो थी मेरे ही ख़िला’फ़,
वो बगावत देख ली। 6
सबसे जो ‘प्रेमी’ करें,
वो मुहब्बत देख ली। 7
………✍️ सत्य कुमार प्रेमी