उनकी आजमाइश
वक़्त की आजमाइश में वो खुद की नुमाइश कर बैठे,
जिसको पाने की हम दिन रात तमन्ना किये हुए थे,
वो उसी आफताब को पाने की ख्वाहिश कर बैठे,
बहुत समझाया उनको ज़माने की नियत का कायदा,
मगर वो उस जहाँ की ही फरमाइश कर बैठे,
जिसको कभी न देखने की हम कसम खाये बैठे थे,
उसी जन्नत के नूर की वो अपने दिल में गुंजाइश कर बैठे,