उनका तो दिन रात एक है
टूटे उनचन सा उनका मन है,
बैठे सोयें
बात एक है।
घुने खाट सा उनका तन है ,
उनका तो
दिन रात एक है ।
करें खेत में
करें सड़क पर,
हाड़तोड़
श्रम करना ही है।
फाँके धूल …
रेत सीमेण्ट ,
लड़ें रोग से
मरना ही है।
काज कई
हालात एक है ।
उनकी पीढ़ी
टूटी सीढ़ी,
भाग्य में
चढ़ना गिरना है।
अभिशापित है
उनकी प्रतिभा ,
धन बिन क्या
पढ़ना लिखना है ।
कलम फावड़ा
हाथ एक है ।
न जाने
कितनी योजनाएँ,
महज़ होती है
घोषणाएँ,
बदले उनको
लूटते खुद ही,
क्यों नही वो
मशाल जलाएँ ।
शोषित की तो
जात एक है।