उधेड़ बुन
कोई मुझे पागल कोई दीवाना कहता है
कोई इस दिल को बेगाना कहता है
हम तो बस इस दिन में जीते हैं
आज कल मौसम आशिक़ाना रहता है।
किसी पुराने दीवाने ने क्या ख़ूब कहा है
अपना बेशक़ीमती दिल किसी को ना देना
गर तिजोरी में रख दिया अपना दिल
तो धड़कन का क्या रुकना क्या चलना।
इस उधेड़ बुन में यह दिन बीत ना जाए
आँख खुलने से पहले शाम हो ना जाए
यहाँ जीवन आनंद आज ही मिल जाए
तिजोरी में रखा दिल कहीं रुक ना जाए।