उधारी से बचिए
❆ काफ़िया (तुकान्त) – आरी
❆ रदीफ़ (सामन्त) – से भी बचिए
उधारी से बचिए
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वजह बेवजह की उधारी से भी बचिए।
झगड़े मोल लेने की बीमारीसे भी बचिए।
गर जान मुश्किल फसी हो जो यारा।
वजह बेवजह लेनदारी से भी बचिए।
जितनी हो चादर पैर उतने में रखना।
फिजूलखर्ची की खुमारी से भी बचिए।
कि लेनदार दे ना दरवाजे पे दस्तक।
अनचाहे इस तरह महामारी से भी बचिए।
घर में न पैसा और जेबें हैं खाली सचिन।
दिखावे की नित्य आदाकारी से भी बचिए।
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✍✍पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार