उदाश हूँ
सुबह से उदास हूँ, मैं एक ख्याल सा.
कुछ खो गया दिल तन्हा उदास सा.
ये ख्याल किसी चाहत की जुर्रत।
या जुगरे रातों की अनकही कहानी।
जो दिल का लम्हा – लम्हा बेक़रार कर गया.
चलो भूल जाऊ मगर उस चेहरे का क्या.
जो शामियाने जलाये, मुझे पास बुलाये.
बुझा दी लम्हो की तृष्णागि उम्र की।
जो रातों की अनकही को छाँह दे जाये,
जो दिल का लम्हा – लम्हा बेक़रार कर जाये।
अवधेश कुमार राय ‘अवध’
02/02/18