उत्साह
उत्साह है इक प्यारी आशा
निरुत्साह है मात्र निराशा।
जिंदादिली से जीना है ही
उत्साह की सही परिभाषा।
यदि जीवन में तेरे है उमंग
तो सब संसार है तेरे संग।
यदि मन पर छाई हताशा
कोई न संग जग देखे तमाशा।
चींटी से हम सीखें उत्साह
हरदम रहती चुस्त फुर्तीली।
चाहे राहों से वह अनजान
किन्तु बढ़ती जाए जोशीली।
उत्साह वह संजीवनी जो
निर्जीव में भी फूंके प्राण।
जोश से जो कदम बढ़ाता
प्रभु भी करे उसका परित्राण।
एक कहावत सुनी है हमने
हिम्मत ए मर्दां मदद ए खुदा
उमंगभरा उत्साहित जीवन।
जीना ही है एक खास अदालत।
जीवन की रंगोली में बन्धु
भरो उत्साह उमंगों के रंग।
निरुत्साह को बाहर फेंको
होने न पाए जीवन बदरंग।
मंजिलों को भी पाता वही
जो पंख हौसलों के रखता।
सकारात्मक सोच के संग
उत्साहों की उड़ानें भरता।
रंजना माथुर
जयपुर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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