उत्सव
उत्सव
जीवन उत्सव है
प्राप्तियों का ,
अभितृप्ति है
प्यास का।
उत्साह है अप्राप्त की
जीवन में मूल्य बढ़ता है
प्रतिभा छलकती है
शिखर पर चढ़ जाने को।
हे अनुपम!हे अद्वितीय!
बढ़े चलो बढ़े चलो
अपना वर्चस्व बनाने को
अप्रतिम,अतिसुंदर
अपना झंडा फहराने को।
कविराज
संतोष कुमार मिरी
रायपुर छत्तीसगढ़