उतर जाओ मैदानी टक्कर में
कोई कहे हम लालू हैं, कोई कहे नीतीश ।
मसीहा बनाने वक्त तो, खुश थे ।
मजदूर किसान ही नहीं, तुम लोग भी, बहुत खुश थे,अब क्यों बढ़ने लगा है खिंस ।।
अब क्यों घबराते हो तुम,
यह तो, तेरी करनी का ही फल है ।
चलो माना,आज उजड़ा है आसियाँ तेरा,
लेकिन पहले से भी तो, यहाँ दलदल है ।।
बाढ़,सुखाड़,बीमारी,लाचारी पहले भी थी,
यहाँ दुसरों के सरकारों में ।
ये आज भी है, आगे भी रहेगी,
तुम मत आओ बहकावे में ।।
वो पापी हैं या समाजसेवी,
तुम मत पड़ो उनके चक्कर में ।
अगर, सही राह दिखानी हो उन्हें तो,
तुम खुद उतर जाओ, मैदानी टक्कर में ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 06/08/2020
समय – 03:52 (सुबह)
संपर्क – 9065388391