उड़ान
उड़ान
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दाना चोंच में देकर
तूने किया उनको बड़ा
उड़ चले नीड़ से ये परिंदे
हौसला उड़ने का जो हुआ
आंधी झेली पानी झेला
झेला पूरा फैला आसमां
पंखों में तूने हीं हैं डाले
जोश उनके और अरमा
डटे रहे उसी जोश से
विस्तृत नीले निलय में
तनिक भी वे डरे नहीं
जरा भी पथ डिगे नहीं
नाम तेरा साहस भी तेरा
हिम्मत भी फौलाद सा
डाला था पंखों में जो कुछ
जांबाज लेकर उसे उड़ते रहे
अब जो संध्या घिर आई है
दो परिंदों को इजाजत
लौट कर घर आने की
थोड़ा सुस्ता लेने उन्हे दो
पंखों को करने दो आराम
तेरे साहस का परचम लेकर
फिर उड़ेंगे नीले अम्बर में
जैसे होगी सुबह की अजान
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निशि सिंह