कविता : उड़ान
मुझे उड़ना है उन्मुक्त उड़ान।
लिया मन में है अरमान ठान।।
नये सपने देंगे मन निखार।
चलूँगा पग-पग खुद को सुधार।।
लिए मन में मंज़िल की उमंग।
चलूँगा होकर मैं नित दबंग।।
किया खुद से है मैंने क़रार।
ज़माने को दूँगा नव विचार।।
करूँ ऐसा बन जाऊँ मिसाल।
लिखूँ ऐसा हो जाए कमाल।।
कहूँ ऐसा जो कहती बहार।
चलूँ ऐसा जिसपर जग निसार।।
करूँ हर संकट का मैं निदान।
तभी कहलाऊँगा मैं महान।।
सभी से हो नित मनहर मिलाप।
यही करता रहता मैं जाप।।
#आर. एस. ‘प्रीतम’
#स्वरचित रचना