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17 May 2023 · 1 min read

‘उड़ान’

स्वप्न सतरँगी सजाकर,
चल दिया चितचोर।
अब कहाँ ढूँढूँ उसे, सखि,
उठ रही है हिलोर।।

मन की है जो पतँग, पगली,
प्रीत की है डोर।
कल्पना के पँख, अगणित,
उड़ चली नभ ओर।।

मन की वीणा की झनक,
सुन चित्त आज, विभोर।
अब न तो है ओर कोई,
और न कोई छोर।।

दे गया सौगात अद्भुत,
सुरभि है, चहुंओर।
पवन प्रतिपल पूछती है,
क्यों दुखे हर पोर।।

हर दिशा है उल्लसित,
पा लूँ उसे बिन शोर।
भर गई “आशा” अपरिमित,
अब चले ना ज़ोर..!

##————##————

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 192 Views
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Books from Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
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