‘उड़ाओ नींद के बादल खिलाओ प्यार के गुलशन
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‘उड़ाओ नींद के बादल खिलाओ प्यार के गुलशन
लगे ये ज़िन्दगी ऐसी सजी जैसे कोई दुल्हन
किसी नीरस फ़साने को नहीं सुनता यहाँ कोई
बना मंज़र नज़ारा हो जिधर देखें वहीं सावन’
आर. एस. ‘प्रीतम’
‘उड़ाओ नींद के बादल खिलाओ प्यार के गुलशन
लगे ये ज़िन्दगी ऐसी सजी जैसे कोई दुल्हन
किसी नीरस फ़साने को नहीं सुनता यहाँ कोई
बना मंज़र नज़ारा हो जिधर देखें वहीं सावन’
आर. एस. ‘प्रीतम’