उड़न खटोला गांव में आया
आसमान से धीरे-धीरे
धूल उड़ाता नीचे आया
देखा सबने शोर मचाया
उड़न खटोला गांव में आया ||
उड़न खटोले से जो उतरे
खादी के कपड़े पहने थे
सर पर टोपी लगी हुई थी
जलवे उनके क्या कहने थे?
पीछे बंदूकों का साया
उड़न खटोला गांव में आया ||
गांव की गलियों में जब घूमे
लगा कि कोई अपना आया
कुछ के उनने पैर छुए और
कुछको अपने गले लगाया
कुछ से केवल हाथ मिलाया
उड़न खटोला गांव में आया||
हरकू की कुटिया में बैठे
मनकू के घर रोटी खाई
दुखिया के घर बैठ गए वो
टूटी खाट पे डाल चटाई
सब ने अपना दर्द सुनाया
उड़न खटोला गांव में आया ||
दुखड़े सुन वो दुखी हो गए
बोले यह सब नहीं चलेगा
सब के गम मैं दूर करूंगा
अब उन्नति का द्वार खुलेगा
सबने मिल जयघोष लगाया
उड़न खटोला गांव में आया |
वादे करके चले गए वो
पर न भागा दुख का साया
आशा में आंखें पथराई
पांच साल तक कोई ना आया
आज वही दिन फिर से लौटा
फिर कोई संग सपने लाया
उड़न खटोला गांव में आया ||
डॉ रीतेश कुमार खरे ‘सत्य’
बरुआसागर, झांसी उत्तर प्रदेश