उठो शीघ्र हथियार अपने उठाओ
उठो शीघ्र हथियार अपने उठाओ
* गीतिका *
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उठो शीघ्र हथियार अपने उठाओ।
सबक देश के दुश्मनों को सिखाओ।
लहू खौलता जा रहा देश का जब,
खुली छूट सेना को’ देकर दिखाओ।
बहुत बह चुका रक्त निज सैनिकों का,
समय आ गया रक्त अरि का बहाओ।
नहीं पाक का नाम बाकी रहे अब,
उसे विश्व नक्शे से’ ही अब मिटाओ।
सहेंगे नहीं वार अब मातृ-भू पर,
यही विश्व के सामने कर दिखाओ।
अहिंसा की माला निरर्थक जपो मत,
तजो बाँसुरी शस्त्र सब काम लाओ।
बहुत ले चुके धैर्य की जो परीक्षा,
नदी आज उनके लहू की बहाओ।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हिमाचल प्रदेश)