उठो पुत्र लिख दो पैगाम
उठो पुत्र लिख दो पैगाम
धरती पर जन जन के नाम
हिंसा नहीं प्रेम बरसाओ
लाओ धरा पर नया विहान
उठो पुत्र लिख दो पैगाम
एक पिता है एक ही माता
ईश्वर से है सब का नाता
राह अलग है एक मुकाम
प्यार अमन का दो पैगाम
उठो पुत्र लिख दो पैगाम
एक खून और एक ही पानी
सांस सभी में एक समानी
अलग अलग नामों से प्राणी
करते हैं सब उसका ध्यान
उठो पुत्र लिख दो पैगाम
कोई गोरा कोई काला
कोई लंबा कोई नाटा
उसने नहीं किसी को बांटा
एक सरीखी सब में जान
उठो पुत्र लिख दो पैगाम
एक धरती एक गगन है
उस पर सारे जीव मगन है
लड़ते नहीं आदमी जैंसे
स्व जाति का रखते ध्यान
उठो पुत्र लिख दो पैगाम
मालिक ने सारा जहां बनाया
प्रेम शांति का पाठ पढ़ाया
इस जग में जीना सिखलाया
मानव जीवन करो महान
उठो पुत्र लिख दो पैगाम
दिल है मंदिर दिल ही मस्जिद
यह दिल ही मेरा गुरुद्वारा है
इस दिल में बैठा परमेश्वर
यह गिरजा सबसे न्यारा है
तोड़ नहीं अब जोड़ दिलों को
ईश्वर अल्लाह का है पैगाम
उठो पुत्र लिख दो पैगाम
धर्म नहीं लड़ना सिखलाता
ना ही किसी से बैर बढ़ाता
धर्म आचरण की पोथी है
जिससे बनते हैं इंसान
उठो पुत्र लिख दो पैगाम
सुरेश कुमार चतुर्वेदी