उठा कलम
उठा कलम
संभाल कर्म
भाग मत,
जांच ले,
है कौन जो है,
अव्यवस्थित.
जुट जी जान से,
बने सब समर्थ,
ऐसा धृत,
परोस दे,
भूखे को रोटी मिले
अशिक्षित को सीख,
रुग्ण को इलाज,
खोज ले,
वो विभेदनी,
हर तीर,
जिस तरकश से,
सब सबल हो,
सफल हो,
सुगंध ऐसी फैले,
जन जन में प्रेम हो.
टूट जाये
सब मान्यता
हिंदू मुस्लिम
सोच सबकी
एक मत हो
जीवनधार पार हो.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस