उठाना होगा यमुना के उद्धार का बीड़ा
मानवीय व्यवहारों से जहरीला
हो गया यमुना जी का पानी
फिर भी वो अभी बख्श रही
हैं करोड़ों लोगों को जिंदगानी
राजधानी दिल्ली के निवासी
खुद को मानते आधुनिक जरूर
पर यमुना की दीन दशा को ले
नहीं किया कोई आंदोलन मशहूर
केंद्र सरकार और बड़े संस्थानों का
अमला भी है वहां भारी भरकम
पर किसी संस्थान ने नहीं उठाया
बीड़ा कि यमुना की पीड़ा हो कम
दशकों से वहां यमुना की सफाई के
नाम पर बस होती रही खानापूर्ति
लगातार विषैली होते जाना बन गई
जीवनदायिनी यमुना की नियति
समूचे दिल्लीवासियों को एकजुट हो
उठाना होगा यमुना के उद्धार का बीड़ा
अन्यथा निकट भविष्य में उन्हें जल
प्रबंधन में झेलनी होगी गहरी पीड़ा
नालों के जलशोधन के लिए सरकार
को करने होंगे ठोस और उचित प्रबंध
कचरे के सुरक्षित निपटारे को जगह
जगह लगवाने होंगे पर्याप्त संयंत्र